ग्रहण के दौरान क्या वर्जित माना जाता है।
ग्रहण के दौरान भोजन, मल-मूत्र त्याग, मैथुन अशुभ माना गया है। हमारे धर्म शास्त्रों में सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि मान्यता थी कि ग्रहण लगने के समय कीटाणु फैल जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान निकलने वाला विकिरण भोजन को दूषित कर देता है।
क्या है वैज्ञानिक कारण
इस मान्यता के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि ग्रहण के दौरान जीवाणुनाशक पराबैंगनी विकिरण अनुपलब्ध होते हैं जो रोगाणु को पनपने से रोकने में मदद करते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान पका हुआ खाना संग्रह करने पर उनके खराब होने की संभावना तीव्र होती है।
ग्रहण के दौरान आमतौर पर खाना खाने की मनाही होती है। ग्रहण प्रेरित गुरुत्वाकर्षण के लहरों के कारण ओजोन के परत पर प्रभाव पड़ने और ब्रह्मांडीय विकिरण दोनों के कारण पृथ्वीवासी पर कुप्रभाव पड़ता है। इसके कारण ग्रहण के समय जैव चुंबकीय प्रभाव बहुत सुदृढ़ होता है जिसके प्रभाव स्वरूप पेट संबंधी गड़बड़ होने की ज्यादा आशंका रहती है।
खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण इस सयम किया गया भेाजन अपच, अजीर्ण आदि शिकायतें पैदा कर शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचा सकता है। इसीलिए हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि ग्रहण लगने से दस घंटे पूर्व से ही इसका कुप्रभाव शुरू हो जाता है।
क्या कहते है पुराण
क्या कहते है पुराण
स्कंदपुराण में कहा गया है कि ग्रहण के समय दूसरों का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्रित पुण्य नष्ट हो जाता है। जबकि देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि ग्रहण के समय खाने से मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है उसे उतने वर्षों तक अरुतुन्द नाम के नरक को भोगना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति जब धरती पर जब पैदा होता है तो उसे उदर रोग, गुल्मरोग और दांतों की परेशानी होती है।
दोस्तों दी गई जानकारी का वीडियो देखने के लिए HN Jankari youtube channel को सब्सक्राइब करें और इसका वीडियो देखने के लिए वीडियो बटन पर क्लिक करें धनयवाद।
दोस्तों दी गई जानकारी का वीडियो देखने के लिए HN Jankari youtube channel को सब्सक्राइब करें और इसका वीडियो देखने के लिए वीडियो बटन पर क्लिक करें धनयवाद।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Suggestions or Questions